छत्तीसगढ़गरियाबंद

woman destitute: पति से अलग होने के बाद महिला हुई बेसहारा, मजदूरी के सहारे दो बच्चों का लालन-पालन, राशन कार्ड के लिए सात सालों से लगा रहीं सरपंच-सचिव का चक्कर

रवि तिवारी@ देवभोग। (woman destitute) जामगॉव की रहने वाली शांति बाई(45) पति से अलग होने के बाद संघर्ष भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। सात साल पहले पति से अलग होने के बाद शांति बाई के ऊपर अपने दो बच्चों की जिम्मेदारी आ गईं। किसी तरह गॉव के एक व्यक्ति ने रहने को जमीन दिया,इसके बाद जमीन पर सर छुपाने के लिए आशियाना तैयार करना भी शांति बाई के लिए किसी चुनोती से कम ना था। (woman destitute) लेकिन तमाम मुश्किलों को चुनोती देकर शांति बाई ने रोजी-मजदूरी कर लोगों से कुछ रुपये उधार लेकर रहने के लिए एक मिट्टी का कच्चा मकान तैयार कर लिया।

(woman destitute) अब शांति बाई के सामने राशन की समस्या बड़ी समस्या बनकर खड़ी हो जाती हैं। पति से अलग होने के बाद पिछले सात साल से शांति सरपंच-सचिव का चक्कर लगा रही हैं, लेकिन आज तक उसका राशन कार्ड नहीं बन पाया। अंततः उसने एक बार फिर जामगॉव के शिविर में एसडीएम अनुपम आशीष टोप्पो को मामले से अवगत करवाते हुए राशन कार्ड बनाये जाने की गुहार लगाई है,वही महिला द्वारा आवेदन दिए जाने के बाद एसडीएमने पंचायत सचिव को निर्देशित किया है कि शांति बाई के राशन कार्ड के लिए तत्काल कदम उठाए।

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मजदूरी कर राशन के लिए जुटाती हूं पैसे-:शांति बाई ने रुंधे गले से बताया कि पति से अलग होने के बाद उसका कोई सहारा नहीं था। ऐसे में किसी तरह उसने सर छुपाने के लिए कच्चा मकान तो बना लिया,लेकिन आज भी उसके सामने सबसे बड़ी समस्या पेट पालने की हैं। उसे हर रोज निवाले की चिंता बनी रहती हैं। शांति कहती हैं कि वह रोजी-मजदूरी करती हैं, तब जाकर उस पैसे से उसका घर चल पाता है,और उसे दोनों टाइम का भोजन नसीब हो पाता है।

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मामले में पंचायत सचिव कृष्णचंद्र पात्र ने कहा कि महिला के आवेदन के आधार पर प्रक्रिया पृरी कर उसे ऑनलाइन भी कर दिया गया हैं, खाद्य शाखा से ही कार्ड को लेकर अब तक उचित कदम नहीं उठाया जा सका हैं। अब किस कारण से कार्ड नहीं बन पाया हैं,इसकी जानकारी खाद्य शाखा से ही मिल पाएगी।

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