महासमुंद

Mahasamund : बेमौसम बारिश से कीचड़ में सन गई शहर की सड़कें, हाथों में चप्पल लेकर चलने को मजबूर, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से लगा चुके गुहार, लेकिन हालात जस की तस

मनीष@महासमुंद। बेमौसम बारिश से बीते पखवाड़े भर में झमाझम बारिश के चलते सड़कों का हाल बदहाल हो गया है जिसके चलते ग्रामीणों के साथ साथ किसानी कार्य करने वाले और हाई स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे कीचड़ में चलने को मजबूर हो गए हैं.जगह जगह पर बने गड्ढों के कारण रास्ते पर जाने वाले लोग भी अपने पैरों के चप्पल निकालकर हाथों पर लेकर जाने को मजबूर है.

सड़क का हाल बदहाल

सालों हो गए लेकिन आज तक यहां सड़क अभी भी अपने मूर्त रूप पाने को तरस रहे है. ग्रामीणों के द्वारा सड़क निर्माण को लेकर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों तक भी गुहार लगा चुके हैं लेकिन आज भी सड़क का हाल बदहाल है. जिसके चलते इस रास्ते पर गुजरने वाले लोग कीचड़ पर चलने को मजबूर है.

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कीचड़ में चलने को मजबूर बच्चे

कीचड़ से सराबोर रास्ते पर स्कूल ड्रेस पहनकर, हाथों में चप्पल लेकर चलने वाले बच्चे कोई आम रास्ते पर नहीं चल रहे हैं यह रास्ता जाता है हाई स्कूल की तरफ जहां पर बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपने मुकाम हासिल करते हैं. लेकिन यह सड़क का आलम देखिए बच्चे पानी भरे गड्ढे पारकर सड़क पर चलते हुए दिखाई दे रहे हैं. यह रास्ता है महासमुंद जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत लाफिन खुर्द का इस रास्ते पर यहां के ग्रामीण कृषि कार्य करने और श्मशान घाट पर शव लेकर जाने के साथ ही स्कूली बच्चे स्कूल जाने के लिए करते है. मौसम की मार और खराब सड़क के कारण हाई स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक भी आधे किलोमीटर दूर अपने मोटरसाइकिल रखकर पैदल ही इस रास्ते पर हाथों में चप्पल उठाकर आना-जाना करते हैं.आजादी के 75 बरस बीत जाने के बाद भी यह रास्ता आज भी अपने मूर्त रूप पाने को तरस रहा है.

बारिश होने पर महीनों के लिए बंद हो जाता है रास्ता

आम दिनों में यह रास्ते पर लोग आसानी से गड्ढे पार कर चले जाते हैं लेकिन जैसे ही बारिश होती है यह रास्ता महीनों के लिए बंद हो जाता है और लोग पैदल ही इस रास्ते पर चलने को मजबूर हो जाते हैं…बीते दिनों हुए बेमौसम बारिश के कारण यह रास्ता अब कीचड़ से सराबोर हो गया है जिसके कारण इस रास्ते पर आवागमन बंद हो गया है.

बच्चों को स्कूल आने जाने में हो रही दिक्कत

सरपंच का कहना है कि जब से इस पंचवर्षीय में पदभार ग्रहण किया है तब से ग्रामीणों के द्वारा इस रास्ते का निर्माण के लिए आवेदन दिया जा रहा है उसके बाद से मैं मुख्यमंत्री,प्रधानमंत्री सड़क योजना, पीडब्ल्यूडी के अधिकारी और क्षेत्र के संसदीय सचिव एवं विधायक के साथ मंत्री को भी आवेदन दे चुका हूँ लेकिन जवाब आ आता है की मंत्री जी के अनुशंसा होने की बाद ही यह रास्ता बन पायेगा.

हाईस्कूल में पढ़ने वाले छात्रों ने बताया कि रोड खराब होने के कारण हमें स्कूल तक आने-जाने में भारी दिक्कत होती है. गांव से स्कूल दूर है वहां तक हमें पैदल आना पड़ता है, सड़क खराब होने के कारण गड्ढे बन गए हैं जिस पर से कभी कभार पैर भी फिसल जाते हैं. ऐसे में कई बार हमारा स्कूल ड्रेस भी खराब हो जाता है और चप्पल भी गड्ढे में फस जाते हैं. वही हाईस्कूल के प्राचार्य का कहना है कि 1 दिन के बारिश में ही यह रास्ता पूरा खराब हो गया है इस रास्ते पर पैदल आना भी मुश्किल होता है चप्पल को भी हाथ पर लेकर हमें चलना पड़ता है, साइकिल और मोटरसाइकिल आधे किलोमीटर दूर गांव में ही रखकर सभी लोग स्कूल आते है… आने वाले बरसात के पूर्व अगर सड़क नहीं बनता है कांक्रीटीकरण नहीं होता है तो यहां पर विद्यालय लगाने में असमर्थ हो जाएंगे…

रास्ते में चलना काफी तकलीफ दायक

ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में यह रास्ते में चलना काफी तकलीफ दायक है इस रास्ते पर ही गांव के अधिकांश लोग कृषि कार्य करने बैलगाड़ी और ट्रैक्टर के द्वारा आवागमन करते हैं, इस रास्ते पर मुक्तिधाम है जहां पर गांव में मृत लोगों के अंतिम संस्कार करते हैं वह भी इसी रास्ते पर चल कर ही मुक्तिधाम तक पहुंचते हैं.

आधे किलोमीटर गांव में 20 वार्ड

गौरतलब है कि लाफिन खुर्द में कच्ची सड़क की लंबाई मुक्तिधाम तक 2 किलोमीटर है और हाई स्कूल तक आधे किलोमीटर गांव में 20 वार्ड है जिसमे लगभग 4000 की आबादी निवास करते हैं. जिसका मुख्य कार्य कृषि है और लोग यही रास्ते का उपयोग कर कृषि कार्य करने को जाते हैं सबसे बड़ी परेशानी तो स्कूली छात्रों और शिक्षकों को होती है इस रास्ते पर,क्योंकि आम दिनों में अगर रास्ते का यह हाल है तो बारिश में तो और इस रास्ते पर दलदल बन जाएंगे जिससे स्कूल संचालित कर पाना मुश्किल है.

बता दें कि यह रास्ता बन जाने से गरियाबंद जिला के भी ग्रामीणों को लाभ मिलेगा जिसमे पसौद,पेंड्रा,भलेरा,रोबा, सिर्री जैसे दर्जनों गांव को महासमुंद आने के लिए सीधा रास्ता मिल जाएगा. अब देखना यह होगा कि क्या जिम्मेदारों के कानों तक एक बार फिर यह बात जाने के बाद क्या इस गांव में सड़क सुविधा मुहिया हो पाएगा या इसी सड़क पर चलने स्कूली छात्र और किसान ग्रामीण मजबूर रहेंगे।

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