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Jaspur: गरीब परिवार के लोगों की कल्याण कारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर आखिर क्यों लगा सवालिया निशान….पढ़िए पूरी खबर

शिव शंकर साहनी@जशपुर. जिले में खाद्य विभाग के उच्च अधिकारियों का मनमाना रवैया से गरीब परिवार के लोगों की कल्याण कारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर ही सवालिया निशान लगा दिया है. यंहा खाद्य विभाग में अफसरों ने न्यायालय के आदेश की अवहेलना कर भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को लाभ पहुंचाने की कुचेष्टा की जा रही है.

जशपुर जिले के खाद्य अधिकारी अपने ही अधीनस्थ कर्मचारियों को लगातार बगैर सबूत के परेशान करने से नहीं चूक रहे हैं।

ये ऐसे अधिकारी है जिनके लिए हाईकोर्ट का आदेश भी कोई मायने नही रखता अपने पद का दुरूपयोग करने में कोई कसर नही छोड़ रहा है. दो बार के स्टे आर्डर के बाद भी अधिकारी अपना फैसला पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर काम कर रहा है.

बता दे कि कुछ माह पहले बगीचा के फूड अधिकारी चम्पाकली दिवाकर का उचित मूल्य के संघ ने पैसे का डिमांड करने की शिकायत एसडीएम बगीचा से की थी। जिसके बाद फूड अधिकारी को बिना जांच किए ही आरोप मात्र से बगीचा से हटाकर जशपुर मुख्यालय के कार्यालय में अटैच करने का आदेश जारी कर दिया. वही दूसरी तरफ कांसाबेल के फूड अधिकारी रेणु जांगड़े का लेनदेन और पैसे की डिमांड करने का ऑडियो वायरल हुआ था। जिसके बाद रेणु जांगड़े को कांसाबेल से हटाकर बगीचा कर दिया.जिसके बाद खाद्य अधिकारी अमृत कुजूर के कार्यवाही पर सवालिया निशान खड़े होना लाजमी है. जिस खाद्य अधिकारी के ऊपर आरोप मात्र लगाने से तत्काल हटा दिया जाता है वही दूरी अधिकारी जिनका लेनदेन का ऑडियो वायरल होता है उसके बाद भी उनको प्रमोशन देते हुए छोटे ब्लाक से बड़ा ब्लाक की जिम्मेदारी दी जाती है.

उक्त घटना से आहत होकर बगीचा फूड अधिकारी चम्पाकली दिवाकर ने न्याय की गुहार के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना उचित समझा. हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद जिला खाद्य अधिकारी अमृत कुजूर के आदेश को शून्य कर पुनः बगीचा की जिम्मेदारी चम्पाकली दिवाकर के लिए आदेश जारी होता है उसके बाद दुर्भावना पूर्ण तरीके से जिला खाद्य अधिकारी ने हाईकोर्ट के स्टे आर्डर को चैलेंज कर एक जांच टीम गठित कर चम्पाकली के खिलाफ अपना फिर से आदेश जारी कर पूर्व में किए गए आदेश को यथावत कर सभी पीडीएस संचालकों के शिकायत का बयान लेकर शिकायत को सही ठहराया.दोबारा स्टे आर्डर के बाद फिर से भी रवैया अपनाते हुए दोबारा जांच जिला खाद्य अधिकारी अमृत कुजूर नोटिस जारी कर दो ब्लाक कुनकुरी ओर बगीचा के उचित मूल्य के दुकानदारों को बयान के लिए बुलाया जाता है. बड़ी मुश्किल से चम्पाकली दिवाकर को बगीचा की जिम्मेदारी तो दे दी गयी है. उचित मूल्य के दुकानदारों के ऊपर जिनका जांच कर sdm बगीचा को प्रतिवेदन दिया गया था लेकीन आज दिनाक तक किसी भी उचित मूल्य के दुकानदारों के ऊपर आज तक कार्यवाही नही किया गया है. बल्कि जांच कर्ता अधिकारी के ऊपर लगातार जांच बैठालकर एकतरफा कार्यवाही किया जा रहा है.

इधर चम्पाकली दिवाकर का कहना है कि मैंने अपने दायित्यों का निर्वहन करते हुए. अपने उच्च अधिकारियों के आदेश का पालन करते हुए सभी दुकानों का निरीक्षण किया था जिसमे 62 दुकानों के जांच के बाद सभी दुकानों में स्टॉक में काफी अंतर पाया और शासन के गाइड लाइन का किसी भी दुकानदार पालन नही किए थे जिसके बाद मैंने सभी दुकानों का जाँच कर जांच रिपोर्टर अपने उच्च अधिकारियों को आगे की कार्यवाही के लिए पेश कर दिया था जिसके बाद आज दिनाक तक किसी भी उचित मूल्य के दुकानदारों के ऊपर किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नही हुआ बल्कि जांच करने का मुझे लगातार सजा मिल रहा है मेरे उच्च अधिकारी उल्टा मुझे ही फसाने में लगा हुआ है. जबकि अगर मेरे जांच के आधार पर उन उचित मूल्य के दुकानदारों के खिलाफ मेरे अधिकारी कार्यवाही करते तो एक एक दुकान से राज्य शासन के खाते में कम से कम 30 से 40 लाख का रिकवरी होता.मुझे हाईकोर्ट के आदेश पर पूरा भरोसा है मुझे न्याय जरूर मिलेगी.

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