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मध्यप्रदेश

अनामिका दुबे से बनी ‘उजमा फातिमा’, मां-बाप ने जिंदा बेटी का किया पिंडदान, दिया मृत्युभोज

जबलपुर

अनामिका दुबे ने मोहम्मद अयाज नाम के गैर धर्म के युवक के साथ निकाह कर लिया था. शादी के बाद वह अनामिका दुबे से उजमा फातिमा बन गई थी. बेटी के इस फैसले से नाराज होकर परिवार ने बेटी का परित्याग करते हुए, उसके निधन का शोक संदेश का कार्ड भी छपवाया.

दरअसल, जबलपुर के अमखेरा इलाके में रहने वाली अनामिका दुबे ने मोहम्मद अयाज नाम के गैर धर्म के युवक के साथ निकाह कर लिया था. शादी के बाद वह अनामिका दुबे से उजमा फातिमा बन गई थी. बेटी के इस फैसले से नाराज होकर परिवार ने बेटी का परित्याग करते हुए, उसके निधन का शोक संदेश का कार्ड भी छपवाया, जिसे अपने परिचितों और रिश्तेदारों को भी भेजा और नर्मदा तट पर आयोजित पिंडदान संस्कार में शामिल होने का न्योता दिया.

परिवार ने किया परित्याग को किया गया पिंडदान: पुरोहित

पुराणों और शास्त्रों में पिंडदान के अपने मायने हैं. ऐसा माना जाता है कि पिंड दान करने से मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है, लेकिन जीवित व्यक्ति का पिंडदान होन पर पिंडदान कराने वाले पुरोहित ने कहा कि परिजनों ने यदि परिवार के सदस्य का परित्याग कर दिया है तो ऐसे में उन लोगों के भाव देखें जाते है और फिर पिंडदान पूरा कराया जाता है.

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