Chhattisgarh

Chhattisgarh: एक बार फिर छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के सीएम का हल्ला तेज, आखिर 10 विधायकों के दिल्ली कूच की क्या है वजह?

रायपुर। (Chhattisgarh) पंजाब में मची राजनीति उथल-पुथल के बीच छत्तीसगढ़ में एक बार फिर ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का हल्ला तेज हो गया है। वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समर्थन में कुछ विधायक दिल्ली पहुंच गए थे। सभी विधायक प्रदेश प्रभारी पुनिया से मुलाकात की बात के साथ मुख्यमंत्री को बदलने की चर्चा पर विराम लगाने की मांग कर रहे थे। आज रात की फ्लाइट से फिर 10 विधायक दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं। कल कुछ और विधायकों की टोली दिल्ली पहुंचेगी। ऐसे में एक बार फिर से प्रदेश में ढाई-ढाई साल के सीएम की कुर्सी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है। विधायकों का इस तरह से दिल्ली कूच कई सवाल पैदा करता है। आखिर क्या छत्तीसगढ़(Chhattisgarh) के सियासत में अंदर ही अंदर खिचड़ी पक रही है। मगर इससे पहले सीएम ने खुद इन सभी बातों का खंडन किया था।

(Chhattisgarh)उन्होंने विधायकों का दिल्ली दौरा निजी बताया था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि विधायकों के दिल्ली कूच को राजनीतिक समीकरण से देखना सही नहीं है। सीएम ने कहा कि ‘क्या विधायक कहीं जा भी नहीं सकते हैं? अगर कोई वहां गया है, तो इसे राजनीतिक एंगल से नहीं देखा जाना चाहिए। अगर कोई राजनेता कही जाता तो क्या इसका मतलब सिर्फ यही हैं कि वो राजनीतिक लोगों से मिलने के लिए ही कही जा रहा है। पीएल पुनिया दिल्ली में नहीं है। कैसे कोई उनसे वहां मिल सकता है?’

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वहीं टीएस सिंहदेव ने भी विधायकों के दिल्ली कूच पर बयान दिया था। लेकिन इनका बयान कहीं ना कही आलाकमान के फैसलों पर ही अटक रहा है। वहीं आज राजनांदगांव में स्वास्थ्य विभाग संबंधी निरीक्षण के लिए पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री से पत्रकारों ने ढाई-ढाई साल के मामले में जब सवाल पूछा तो उनका सीधा और सटीक सा जवाब था। उन्होंने कहा कि शपथ ग्रहण हाईकमान पर निर्भर है। हाईकमान के निर्णय के बगैर वह शपथ कैसे ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व पर ही इस विषय का निर्णय का भार टिका हुआ है। सिंहदेव के इस बयान से प्रदेश में ढाई-ढाई साल के कार्यकाल को लेकर चल रही कयासों को फिर बल मिल गया है।

कुछ दिन पहले रामानुगंज विधायक विधायक बृहस्पति सिंह के नेतृत्व में 15 विधायकों की टोली दिल्ली पहुंची थी। सभी विधायकों ने दिल्ली पहुंचने का अलग-अलग कारण बताया। लेकिन इसके बाद फिर कुछ विधायक दिल्ली पहुंचे। इनको मिलाकर कम से कम 25 विधायक पहले ही दिल्ली में मौजूद थे। इसे लेकर विधायक बृहस्पति सिंह ने कहा था कि 15-16 विधायक यहां आएंगे। आज ज्यादा राजनीतिक मूवमेंट नहीं है। हम इं-चार्ज पीएल पुनिया से मिलेंगे। राहुल गांधी छत्तीसगढ़ का दौरा करेंगे और हम उनसे आग्रह कर रहे हैं कि वो हमारे विधानसभा में भी आएं। हम अच्छी हालत में हैं। 90 में से 70 विधायक हमारे साथ हैं। 60 विधायकों ने तो पहले ही लिखित समर्थन हमारे इं-चार्ज और राहुल गांधी को दे दिया है।

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उन्होंने कहा कि ‘मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई इशु नहीं है। छत्तीसगढ़ में हमारी स्थिति मजबूत है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अच्छा काम कर रहे हैं। वो ओबीसी कम्यूनिटी से आते हैं। सीएम बदलने का तो कोई सवाल ही नहीं है। पार्टी शीर्ष नेतृत्व, सभी विधायक और छत्तीसगढ़ की जनता मुख्यमंत्री की कार्यशैली से संतुष्ट है। किसी एक को संतुष्ट करने के लिए सरकरा को अस्थिर नहीं किया जा सकता है।

हालांकि, अब छत्तीसगढ़ कांग्रेस में दो धड़े बन गए हैं. टीएस सिंहदेव का धड़ा आलाकमान से ढाई साल वाला वादा पूरा करने का दबाव बना रहा है. उनके समर्थक मंत्री अपने पद से इस्तीफा देने की बात कह चुके हैं. जबकि, भूपेश बघेल अपनी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं. अगस्त महीने में ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस के 22 विधायकों ने दिल्ली में आलाकमान से मुलाकात की थी. सीएम के समर्थन में और कई विधायक दिल्ली पहुंच गए थे. जिसके बाद ढाई-ढाई साल के सीएम की कुर्सी का मामला शांत होता दिख रहा था। इधर पंजाब में उठी हलचल के बाद एक बार फिर छत्तीसगढ़ की सियासत में उथल पुथल मच गई है। ये तो आने वाला समय बताएगा कि क्या छत्तीसगढ़ में भी सीएम की कुर्सी बदलेगी या एक बार फिर आलाकमान का फैसला सीएम के फेबर में होगा।

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